प्रयागराज 40 साल बाद भगवत प्रसाद को मिला न्याय तहसीलदार ने सुनाया अंतिम फैसला

प्रयागराज 40 साल बाद भगवत प्रसाद को मिला न्याय तहसीलदार ने सुनाया अंतिम फैसला

प्रयागराज सोरांव तहसील क्षेत्र के धामापुर अब्दलपुर में एक युवक ने गांव में ही ढाई बीघा जमीन का बैनामा कराया था। दोनों पक्षों में हुए विवाद को लेकर तहसीलदार न्यायालय में वाद दाखिल किया गया।
               जिसमें वादी और प्रतिवादी ने तहसीलदार न्यायालय में अपनी अपनी दलील पेश करने की उम्मीद लगाई थी, लंबी सुनवाई के बाद 40 साल बाद भगवत प्रसाद के पक्ष में तहसीलदार बृजेश कुमार ने फैसला सुनाया।

              तहसीलदार के निर्णय के बाद भगवत प्रसाद व उसके परिजनों में खुशी का ठिकाना नहीं रहा। जानकारी के मुताबिक सोरांव तहसील क्षेत्र के धामापुर अब्दलपुर निवासी भगवत प्रसाद ने गांव के ही सीताराम से 27 अप्रैल 1981 में दो बीघा 13 बिस्सा चार धुर जमीन का बैनामा लिया था। जिसको लेकर 9 साल बाद 1990 में तहसीलदार न्यायालय द्वारा भगवत प्रसाद के पक्ष में दाखिल खारिज कर दिया गया था। लेकिन कुछ दिन के बाद तत्कालीन ग्राम प्रधान ने दाखिल खारिज को अवैध ठहराते हुए तहसीलदार न्यायालय से दाखिल खारिज को चैलेंज कर दिया। जिनके करीब 5 वर्ष बाद भूमि विक्रेता सीतारामदीन की मृत्यु हो जाने पर उसके बेटोंयो ने राजस्व निरीक्षक की मिली भगत से खतौनी में वरासत चढ़ावा लिया.एक दशक बचने के बाद मृतक की बेटियों ने वाद दौरान खतौनी में अपना नाम दर्ज होने का दावा करते हुए गांव के ही दो लोगों को बैनामा कर दिया जिसके क्रम में तहसीलदार डॉक्टर बृजेश कुमार ने 10 जुलाई को साक्षात का अवलोकन करते हुए मृतक की बेटियों द्वारा किए गए बैनामा को अवैध करार देते हुए भगवत प्रसाद के पक्ष में फैसला सुना दिया और राजस्व अभिलेख खतौनी में भागवत प्रसाद का नाम दर्ज कराया.भगवत प्रसाद के पक्ष में फैसला आते ही परिजनों में खुशी की लहर दौड़ गई

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